भारत आगामी आतंकवादी गतिविधियों को ‘सैन्य आक्रमण’ की श्रेणी में रखेगा: प्रशासनिक सूत्र




नई दिल्ली: केंद्र सरकार अब संभावित आतंकी घटनाओं को केवल एक आपराधिक कृत्य न मानकर, उन्हें “सैन्य आक्रमण” या “युद्ध जैसी कार्रवाई” की श्रेणी में रखने का विचार कर रही है। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, यह पहल देश की सुरक्षा रणनीति को और अधिक सख्त तथा निर्णायक बनाने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है, जिससे देशविरोधी तत्वों को कड़ा संदेश दिया जा सके।


सख्त चेतावनी: अब कोई नरमी नहीं


प्रशासन से जुड़े सूत्रों ने स्पष्ट किया कि यदि आगे चलकर किसी चरमपंथी संगठन या शत्रु राष्ट्र की ओर से भारत पर कोई हमला होता है, तो उसे साधारण आतंकवादी वारदात न मानते हुए सीधे "रणनीतिक हमले" के रूप में देखा जाएगा। इसके परिणामस्वरूप भारत की प्रतिक्रिया भी उतनी ही गंभीर और तीव्र होगी, जितनी कि किसी युद्धकाल में दी जाती है।


सुरक्षा दृष्टिकोण में ऐतिहासिक परिवर्तन


यह नीति बदलाव भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में एक दूरगामी सुधार के रूप में देखा जा रहा है। इस नए दृष्टिकोण के तहत आतंकी गतिविधियों को अब अलग-अलग मामलों के रूप में नहीं, बल्कि एक व्यापक खतरे के रूप में आंका जाएगा। केंद्र सरकार का मानना है कि सीमा पार से किया गया आतंक अब केवल गैर-राज्य तत्वों का नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राज्य समर्थित रणनीति का हिस्सा बन चुका है।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की अपेक्षा


भारत ने पूर्व में भी पुलवामा और उरी जैसे बड़े आतंकी हमलों के पश्चात सर्जिकल स्ट्राइक एवं हवाई हमलों जैसे निर्णायक कदम उठाए थे। अब इस संशोधित नीति के अंतर्गत भारत वैश्विक स्तर पर भी आतंकवाद के खिलाफ एक कठोर दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेगा और अन्य देशों का समर्थन प्राप्त करने का प्रयास करेगा। यह नीति भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को अधिक सुदृढ़ बनाएगी और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति को मज़बूती प्रदान करेगी।


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