चंद्रपुर में बाघ का कहर: तेंदूपत्ता बीनने गईं 3 महिलाओं की मौत
चंद्रपुर ज़िले में हुआ एक बेहद दूखद हादसा। तीन महिलाएं बाघ द्वारा मार डाली गईं, जब वे तेंदू-पत्ते बीनने गई थीं। मरने वालों में कांताबाई चौधरी, शुभांगी चौधरी और सरिका शेंडे। ये तीनों हर दिन की तरह जंगल गई थीं, लेकिन उसी दिन बाघ सामने आ गया और सब खत्म कर दिया। उसी क्षेत्र में एक और महिला, वंदना गजबिये, पर बाघ ने हमला किया; वह बच गई, पर वह गंभीर रूप से घायल हो गई हैं, अभी अस्पताल में भर्ती हैं।घटना के कारण पूरा गांव डरा हुआ है। लोग डर गए हैं और जंगल की ओर जाने से कतराने लगे हैं। वन विभाग के लोग आए हुए हैं, वे जांच कर रहे हैं, कैमरे-वेमरे लगाने की बात चली है ताकि पता चल सके कि वह बाघ कहां घूम रहा है। चंद्रपुर में पहले भी ऐसे हादसे हो चुके हैं, जंगल के भरोसे एकांगी हैं ये लोग- तेंदू पत्ता, लकड़ी, महुआ, ये सब तो उनकी रोज़ी-रोटी है। अब जब बाघों और इंसानों के आमने-सामने होने तक बात आती है तो दोष आखिर किसका होगा?सरकार कहती है कि पकड़ लेंगे अगर बाघ खतरा बना रहा, लेकिन तब तक बहुत से घर उजड़े हो चुके होंगे। ऐसी बातों पर ही हमें सोचने पर मजबूर किया जाता है कि जंगल भी बचाना है और जंगल में जाकर अपनी जान गंवाने वाले लोगों को भी। वरना बाहर निकलते हुए लोग लौटकर घर ना आएं- इससे बड़ा दुख क्या होगा?